tag:blogger.com,1999:blog-77259123016967242492024-03-14T07:00:53.246+05:30कोलाहलचेहरों पर मुस्कान, दिलों में कोलाहल है
भीतर-भीतर आग सुलगती पल-प्रतिपल हैatmahttp://www.blogger.com/profile/15485114288094794179noreply@blogger.comBlogger58125tag:blogger.com,1999:blog-7725912301696724249.post-56852045562394775582015-04-17T15:22:00.001+05:302015-04-17T15:22:55.315+05:30‘न्यूज ट्रेडर्स’ के खिलाफ मोदी के मुंह में क्यों लगा हुआ है ताला
प्रिंट मीडिया के पत्रकारों को मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के मुताबिक वेतन दिलाने के मसले पर मोदी सरकार मौन है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अखबारों के ज्यादातर मालिक इसे लागू नहीं कर रहे है और लागू करने वालों ने भी कमोबेश इसका मजाक बनाकर ही रखा हुआ है। कुल मिलाकर देश की सबसे बड़ी अदालत के हुक्म के बावजूद इस मामले में गजब की अराजकता की स्थिति बनी हुई है।
मीडिया घरानों और मालिकों को आए atmahttp://www.blogger.com/profile/15485114288094794179noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7725912301696724249.post-320862065386732602015-04-12T17:18:00.000+05:302015-04-12T17:18:12.505+05:30फ्रेंच अखबार 'ल मॉन्द' ने दिखा दिया मोदी महाशय को ठेंगा
देश के सरकारी न्यूज चैनल और रेडियो पर अपनी वाह-वाही का प्रसारण कराने वाले मोदी महाशय को फ्रांस के एक अखबार ने सीधे-सीधे ठेंगा दिखा दिया है। फ्रेंच अखबार 'ल मॉन्द' ने पेरिस में मोदी की जो किरकिरी की है उसकी ऊंचाई भीएफिल टावर से कतई कम नहीं कही जा सकती।
दरअसल सातवें आसमान पर चल रहे सत्ता के अहंकार और पालतू संपादकों को उंगलियों के इशारे पर नचाने की आदत में मोदी जी ने फ्रांस में भी कुछ atmahttp://www.blogger.com/profile/15485114288094794179noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7725912301696724249.post-23811536964518033652015-04-08T17:37:00.000+05:302015-04-08T17:37:15.654+05:30... और इन्होंने मीडिया को ‘तवायफ’ बना दिया
नरेंद्र मोदी की सरकार चुनाव में किए गए बड़े-बड़े वायदों को निभा पाने में दस माह बाद भी भले ही मीलों पीछे खड़ी नजर आती हो, पर मोदी के विचित्र मंत्री और सांसद आए दिन नए-नए विवाद खड़े करने में जरा भी पीछे नहीं हैं। ज्यादातर विवाद मंत्रियों की बदजुबानी या बेमतलब के बयानों से पैदा हो रहे हैं। साध्वी निरंजन ज्योति के रामजादे-हरामजादे वाले विवाद और साक्षी महाराज के बयानों के बाद अब पूर्व आर्मी चीफ atmahttp://www.blogger.com/profile/15485114288094794179noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7725912301696724249.post-82247389866549143222015-04-06T18:10:00.000+05:302015-04-06T18:10:01.991+05:30ये स्कीम चालू हुई तो टीटी बाबू की काली कमाई बंद
रेलवे में एक ऐसी योजना अमल लाने की बात चल रही है, जो लागू हो जाए तो यात्रियों को जहां काफी आराम मिलेगा, पर टीटी महाशयों की दो नंबर की कमाई ही बंद हो जाएगी। इसी के चलते इस योजना के लागू हो पाने को लेकर अशंका भी जताई जा रही है। मामला है यात्रियों को ट्रेन में ही रिजर्वेशन कराने की सुविधा देने का । इसके तहत आप सीधे ट्रेन में सवार होकर टीटीई से बर्थ रिजर्व करा सकेंगे। इसके लिए टीटीई को एक हैंड atmahttp://www.blogger.com/profile/15485114288094794179noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7725912301696724249.post-74616485260665384712015-04-06T18:07:00.000+05:302015-04-06T18:52:15.316+05:30आरएसएस के मंसूबों पर प्रेमजी ने फेर दिया पानी
देश के बड़े उद्योग पतियों में शुमार सॉफ्टवेयर कंपनी विप्रो के प्रमुख अजीम प्रेम जी ने उनके चेहरे को अपने इमेज मोडिफिकेशन के लिए इस्तेमाल करने के आरएसएस के मंसूबे परकॉरपोरेट अंदाज में पानी फेर दिया है। दरअसरल संघ अजीम प्रेमजी जैसे साफ-सुथरी छवि और परोपकार के कामों से जुड़े उद्योग पति को अपने मंच पर खड़ा करके अपनाएक उदारवादी चेहरा पेश करने की जुगत में था। पर प्रेमजी की बातों से आरएसएस के atmahttp://www.blogger.com/profile/15485114288094794179noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7725912301696724249.post-85691607754180418352015-04-05T16:51:00.001+05:302015-04-05T16:51:05.014+05:30अजीम प्रेमजी, सुभाष घई के जरिए उदार चेहरा दिखाना चाहता है आरएसएस
संघ प्रमुख मोहन भागवत के मदर टेरेसा द्वारा धर्म परिवर्तन के लिए सामाजिक कार्य किए जाने के बयान की चारों ओर हुई तीखी आलोचना के बाद आरएसएस अब इसे बैलेंस करने के लिए कुछ उदारवादी चेहरा पेश करने की जुगत में दिख रहा है। यह पहल दिल्ली के बाहरी इलाके में हो रहे संघ तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेवा संगम कार्यक्रम में देखी जा सकती है। कार्यक्रम की खास बात यह है कि इसके उद्घाटन सत्र में देश के दिग्गज उद्योगपति atmahttp://www.blogger.com/profile/15485114288094794179noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7725912301696724249.post-66959846004588942452015-04-05T16:41:00.000+05:302015-04-05T16:41:03.222+05:30गुलाम अली की इस अनूठी पहल पर क्यों नहीं जाती मीडिया की नजर
हमारे देश का मीडिया दंगे, लव जिहाद जैसी खबरें और सामाजिक समरसता को बिगाड़ने वाले रामजादे-हरामजादे जैसे बयान बड़ी आसानी से सुर्खियों बनाता है, पर देश की गंगा-जमनी तहजीब को बढ़ावा देने वाली कोई घटना या प्रयास हो तो उसे कोई खास तवज्जो नहीं दी। बनारस में एक ऐसी ही पहल हो रही है, जिसे मीडिया ने उतना हाइलाइट नहीं किया, जितना कि किया जाना चाहिए था।यह खबर है दुनिया भर में गजल गायकी के लिए मशहूर atmahttp://www.blogger.com/profile/15485114288094794179noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7725912301696724249.post-71645087486940558902015-03-19T14:46:00.000+05:302015-03-19T17:55:32.587+05:30नीयत ही नहीं, आप के वजूद पर भी है अब सवाल
‘औरों को नसीहत, खुद मियां फजीहत’ का जुमला आम आदमी पार्टी पर आज एक बार फिर सौ फीसदी फिट बैठता दिखा। मसला लोकसभा चुनाव खर्च का ब्योरा न दिए जाने के चलते चुनाव आयोग द्वारा पार्टी की मान्यता खत्म किए जाने को लेकर जारी नोटिस का है। यानी नीतय के साथ-साथ पार्टी के वजूद का भी सवाल है इस बार। वैसे तो आयोग की ओर से आप के साथ-साथ छह और पार्टियों को भी यह नोटिस भेजा गया है। इनमें पीपुल्स पार्टी ऑफ Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7725912301696724249.post-63404682205582360112015-03-18T14:57:00.003+05:302015-03-18T19:32:18.334+05:30काले धन पर काली नीयत ?
राज्यसभा में वित्त मंत्री एक बार फिर से अपने चिर-परिचित अंदाज में मोदी सरकार द्वारा काले धन पर लगाम कसने के लिए सख्त कदम उठाए जाने का दम भरते दिख। वह संसद में सरकार द्वारा इस संबंध में पेश किए जा रहे विधेयक के समर्थन में दलीलें दे रहे थे। जेटली काले धन पर नए कानून के लिए प्रस्तावित इस विधेयक को अभूतपूर्व और पूरी तरह कारगर बता रहे थे। वित्तमंत्री का कहना था कि सरकार इसमें बहुत सख्त उपाय कर Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7725912301696724249.post-27058117781276063582015-03-17T14:40:00.002+05:302015-03-17T16:01:13.613+05:30चौधरी जी लड़ेंगे ओबीसी के ‘तमगे’ के लिए
सुप्रीम कोर्ट ने जाटों को ओबीसी की लिस्ट से बाहर करने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट के आदेश में फैसले से ज्यादा महत्वपूर्ण और काबिलेगौर उसकी टिप्पणियां (आब्जर्वेशन) मुझे लग रही हैं। देश की शीर्ष अदालत ने न केवल महज वोट की खातिर यूपीए सरकार द्वारा आनन-फानन में लिए गए इस फैसले को रद्द किया है, बल्कि इस तरह की सियासी कवायदों पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं। यहां ध्यान रखने वाली बात यह भी हैUnknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7725912301696724249.post-63374225468781846382015-03-15T16:15:00.003+05:302015-03-15T17:09:07.433+05:30कितने मुखौटे केजरीवाल के !
देश की सियासत के तौर-तरीके और दिशा बदल देने के इरादे जताने वाली आम आदमी पार्टी (आप) को दिल्ली में सत्ता नशीं हुए बमुश्किल अभी महीने भर ही बीते हैं कि दलीय राजनीति की सारी खामियां उसके डीएनए में समाती नजर आ रही हैं। एक के बाद एक हो रहे खुलासे, विवाद और खुद आप की कारगुजारियां पार्टी प्रमुख अरविंद केजरी वाल के चेहरे से मुखौटे उतारती जा रही हैं। योगेन्द्र यादव व प्रशांत भूषण को पार्टी की Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7725912301696724249.post-38462125839882947162015-03-12T16:22:00.002+05:302015-03-12T16:22:45.304+05:30करेंगे ‘मन की बात’ बताओ प्रॉब्लम
देश की कुंडली में किस्मत का विरोधाभास देखिए। पिछले प्रधानमंत्री के मुख से बोल ही नहीं फूटते थे, तो नए पीएम बतोलेबाजी में निकले वर्ल्ड चैंपियन। चुनावी सभाओं में इनके बड़बोलेपन, बड़े-बड़े वादों और दस साल से राज कर रही मनमोहन सरकार (ये अलग बात है कि उनकी चलती कुछ न थी) के प्रति जनता की खीझ ने कुछ ऐसी कैमेस्ट्री बनाई कि भाजपा स्पष्ट और अपूर्व बहुमत के साथ सत्ता में आ गई। महंगाई को 100 दिन में जमीन Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7725912301696724249.post-11081827164114920842015-03-03T14:19:00.000+05:302015-03-03T14:19:14.914+05:30सब्सिडाइज्ड खाना डकार कर देश पर एहसान कर रहे हैं हुजूर
हुजूर की महिमा निराली है और मीडिया में बैठे इनके पालतू संपादक भी हैं पूरे वफादार। रेल बजट में यात्री किराया न बढ़ाकर सीना चौड़ा किया और यूरिया से लेकर अनाज तक का भाड़ा बिना बताए ही बढ़ा दिया। आम बजट के दिन भी यह खेल उसी शातिराना अंदाज में दोहराया गया। फ्यूचरिस्टक और आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने वाले बजट का नगाड़ा पीट कर पेट्रोल 3.18 रुपये और डीजल 3.09 रुपये प्रति लीटर महंगा कर दिया। उधर चैनलोंUnknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7725912301696724249.post-3028050457213901632015-02-19T17:06:00.004+05:302015-02-19T17:06:46.618+05:30मोदी चले तुगलक की राह
मुगलों से पहले मध्य कालीन भारत का सबसे चर्चित शासक था मोहम्मद बिन तुगलक। उसे आज भी याद किया जाता है। बहादुरी, दरियादिली या फिर सुगठित शासन व्यवस्था के लिए नहीं, बल्कि राजधानी को दिल्ली से दौलता बाद ले जाने और चमड़े के सिक्के (टोकन करेंसी) चलाने जैसे सनक भरे फैसलों के चलते। यह सनकीपन ही आखिरकार उसके पतन का कारण बना। आज की तारीख में दिल्ली के तख्त पर बैठे 56 इंच के सीने वाले महाशय भी कुछ ऐसी Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7725912301696724249.post-31344546022743191852015-02-13T16:30:00.000+05:302015-02-13T16:30:18.899+05:30ऑनलाइन स्टोरों पर वेलेंटाइन बाबा की फुल कृपा
प्यार का तोहफा तेरा, बना है जीवन मेरा जंपिंग जैक जीतेंद्र पर फिल्माया यह गाना आजकल प्रेमी जोड़ों के साथ-साथ ऑन लाइन स्टोर चलाने वाले कारोबारियों के दिलों में भी फुल वॉल्यूम पर बज रहा है। हो भी क्यों न? वेलेंटाइन डे पर उन्हें अपने बिजनेस का वॉल्यूम बढ़ने की उम्मीदें साकार होती जो नजर आ रही हैं। उद्योग संगठन एसोचैम का एक ताजा सर्वे कुछ ऐसी कहानी बयान कर रहा है। सर्वे में इस साल वेलेंटाइन सीजन Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7725912301696724249.post-44343479041061451432015-02-12T15:09:00.000+05:302015-02-12T17:08:57.474+05:30अनूठा है केजरी का यह ठाकरे कनेक्शन
अनूठा है केजरी का यह ठाकरे कनेक्शन
बात अटपटी और चौंकाने वाली लगती है। शीर्षक पढ़कर लग रहा होगा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ सत्तासीन हो रहे अरविंद केजरीवाल और उद्धव ठाकरे या राज ठाकरे के बीच किसी गुपचुप सियासी गठजोड़ का खुलासा होने वाला है। सस्पेंस यहीं खत्म करता हूं, ऐसा कुछ नहीं। बात राज ठाकरे और अरविंद केजरीवाल से जुड़ी हुई तो है, पर उनके बीच किसी गठजोड़ की नहीं, Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7725912301696724249.post-87612130415517515022010-12-21T14:38:00.000+05:302010-12-21T14:40:20.552+05:30बिछाया बंदरबांट का एक और जालपौने दो लाख करोड़ रुपये के २जी स्पेक्ट्रम घोटाले का शोर अभी संसद की फिजाओं में गूंज ही रहा था कि सैकड़ों-हजारों करोड़ की एक और बंदरबांट का जुगाड़ बैठाने की एक और खबर सामने आ गई। 'खाने-पकानेÓ की यह नई स्कीम लांच की है कर्मचारियों के पीएफ और पेंशन का लेखा-जोखा रखने वाले कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने। संगठन ने घोषणा की है कि पीएफ के बंद पड़े खातों पर वह अप्रैल से ब्याज नहींं देगा। अफसोस की Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7725912301696724249.post-26211245107705885192010-07-26T14:36:00.000+05:302010-07-26T14:37:59.718+05:30आईबीएन-७ का ये मदारीपन!दफ्तर में बस पहुंचा ही हूं कि आईबीएन-७ पर चलती एक 'न्यूज स्टोरीÓ टीवी पर चलती दिखती है। स्टोरी है राजस्थान के सीकर की। कुएं में गिरे एक बैल को बचाने केलिए एक डाक्टर को कुएं में उतारा जाता है। मकसद है कि डाक्टर बैल को इंजेक्शन लगाकर बेहोश कर दे। इसकेबाद बेहोश बैल को रस्से या चेन आदि से बांध कर बाहर खींच लिया जाए। बचाव कार्य के लिए डाक्टर बांस की सीढ़ी से कुएं में उतरता है। घंटों से कुएं में फंसा Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7725912301696724249.post-62629527853226227822010-03-02T14:30:00.000+05:302010-03-02T14:33:52.969+05:30मंदी, महंगाई, सूखे से सीखा नहीं सबकमंदी,सूखे और महंगाई की तिहरी मार के बाद पेश किए गए इस बजट में देखने वाली सबसे बड़ी बात यह थी कि संकट के इस दौर से हमारी सरकार ने क्या सबक सीखा। वित्त मंत्री का बजट भाषण सुनने के बाद स्पष्टï है कि हमारे नीति-नियंताओं ने आफत के इस दौर से कोई सबक नहीं लिया। बजट में ग्रामीण विकास पर जोर, २०१२ तक हर गांव में बैंक खोलने, ग्रामीण विकास के लिए ६० हजार करोड़, मनरेगा के लिए ४० हजार करोड़ और पांच फूड पार्कUnknownnoreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7725912301696724249.post-31638846630593529992010-02-09T14:37:00.000+05:302010-02-09T14:41:28.061+05:30मीडिया का ये 'जी-फैक्टर 'मीडिया का ये 'जी-फैक्टर ' 'ज्ञानोदय' के मीडिया विशेषांक में पत्रकारिता की दुनिया के 'बड़े लोगोंÓ अनुभवों और संस्मरणों के रास्ते कहीं न कहीं मीडिया के चाल-चरित्र में हाल के वर्षों में आए बदलाव की झलक देखने को मिली। विनोद दुआ ने अपने आलेख में पत्रकारिता की चुनौतियों के एक व्यावहारिक पहलू को छूते हुए गंभीर सवाल उठाया है। सवाल पत्रकारिता में उभरती एक नई प्रवृत्ति, गहरे में जाएं तो उसके बदलते चरित्र Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7725912301696724249.post-68347367361473425972010-02-05T14:32:00.000+05:302010-02-05T14:33:38.672+05:30मीडिया का ये 'जी-फैक्टर ''ज्ञानोदय' के मीडिया विशेषांक में पत्रकारिता की दुनिया के 'बड़े लोगोंÓ अनुभवों और संस्मरणों के रास्ते कहीं न कहीं मीडिया के चाल-चरित्र में हाल के वर्षों में आए बदलाव की झलक देखने को मिली। विनोद दुआ ने अपने आलेख में पत्रकारिता की चुनौतियों के एक व्यावहारिक पहलू को छूते हुए गंभीर सवाल उठाया है। सवाल पत्रकारिता में उभरती एक नई प्रवृत्ति, गहरे में जाएं तो उसके बदलते चरित्र को लेकर है। मुद्दा है Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7725912301696724249.post-67204840160914274802010-01-20T13:50:00.000+05:302010-01-20T13:54:06.256+05:30महंगाई पर तमाशेबाजी!महंगाई आज देश की जनता के लिए ङ्क्षचता का सबसे बड़ा का मुद्दा है। दूसरी ओर सरकार में बैठे लोगों लिए शायद यह महज बौद्धिक कलाकारी और बयानबाजी का विषय बनकर रह गया है। शायद यही वजह है कि सरकार की तमाम कोशिशों केबावजूद महंगाई जहां की तहां कायम है। उधर सरकार में ऊंचे ओहदों पर बैठे लोग महंगाई को लेकर तरह-तरह की व्याख्याएं पेश कर रहे हैं। कई बार तो यह व्याख्याएं इतनी अजीबोगरीब होती हैं कि यह भी समझ नहीं Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7725912301696724249.post-27690243687301899662009-09-27T14:18:00.000+05:302009-09-27T14:26:12.344+05:30तो ऐसे होती है दिल्ली में क्रांति, कमाल है!एक खास विज्ञापन की तलाश में पिछले दो-चार दिन के हिन्दुस्तान टाइम्स के पन्ने पलट रहा था। एक पेज की लीड स्टोरी पर गया। चार-पांच काॅलम में छपी स्टोरी थी, रंगीन फोटो के साथ। फोटो में एक खूबसूरत सी लड़की अपनी छोटी सी कार पर चढ़ रही थी, बड़े अंदाज-ओ-अदा के ध्यानसाथ। ध्यान खिंचना लाजमी था भई। सोचा लाइफ स्टाइल वगैरह से जुड़ी कोई खबर होगी। पढ़ना शुरू किया तो मामला कुछ और ही निकला। स्टोरी बिजली से चलने वाली Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7725912301696724249.post-20200751347086451432009-09-25T14:14:00.000+05:302009-09-25T14:18:40.965+05:30दरोगा जी में जाग उठी ’ देवी ’माथे पर रोली का लंबा सा टीका लगाए आज उनके मुख की शोभा कुछ अलग सी है। रोजाना के रौब के साथ-साथ एक अनूठा तेज टपक रहा है चेहरे से। जिप्सी की अगली सीट पर बैठे एसओ साहब पूरे एक्शन में हैं। अरे, एक्शन मतलब वसूली नहीं यार ! आप लोग तो खामखां एक ही जगह अटक जाते हो। अरे नौराते शुरू हो चुके हैं। कुछ तो धार्मिक हो जाओ। कुछ तो शुभ-शुभ बोलो। ---हां तो साहब एक्शन में हैं। पूरे धार्मिक मूड में। हर साल की तरह Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7725912301696724249.post-13126823417607643762009-09-20T13:53:00.000+05:302009-09-20T13:59:32.387+05:30दाती गुरु का मंतर काम कर रहा हैमदारी की बाजीगरी दिल बहलाती है। लोग सिक्के फेकते हैं। मीडिया की बाजीगरी इससे कहीं गहरी है। व्यापकतर असर रखती है। चैनलों का चलाया दाती गरु का मंतर आजकल दिल्ली में खूब कमाल दिखा रहा है। दाती गुरु वही रजत शर्मा मार्का। इंडिया टीवी वाले। बाद में शायद अच्छा आफर मिला तो न्यूज-24 चले गए। आजकल वहीं से भक्तों को दीक्षा दे रहे हैं। भविष्य बांच रहे हैं। पहले शनि के प्रकोप से बचाते थे। दाती गुरू के मुख से Unknownnoreply@blogger.com2