5 अप्रैल 2015

गुलाम अली की इस अनूठी पहल पर क्यों नहीं जाती मीडिया की नजर

हमारे देश का मीडिया दंगे, लव जिहाद जैसी खबरें और सामाजिक समरसता को बिगाड़ने वाले रामजादे-हरामजादे जैसे बयान बड़ी आसानी से सुर्खियों बनाता है, पर देश की गंगा-जमनी तहजीब को बढ़ावा देने वाली कोई घटना या प्रयास हो तो उसे कोई खास तवज्जो नहीं दी। बनारस में एक ऐसी ही पहल हो रही है, जिसे मीडिया ने उतना हाइलाइट नहीं किया, जितना कि किया जाना चाहिए था।
यह खबर है दुनिया भर में गजल गायकी के लिए मशहूर पाकिस्तानी गजल गायक गुलाम अली द्वारा 8 अप्रैल को वाराणसी में शुरू हो रहे वार्षिक संगीत महोत्सव में हिस्सा लेने की। अब आप कहेंगे कि इसमें क्या खास बात है भला, गुलाम अली तो अकसर ही भारत के अलग-अलग शहरों और आयोजनों में गाते रहे हैं। पर इस कार्यक्रम में खास है उसका वेन्यू। गुलाम अली बनारस के मशहूर संकट मोचन मंदिर में अपनी प्रस्तुति देंगे। एक और खास बात यह है कि गजलों के लिए मशहूर गुलाम अली वहां गजल नहीं गाएंगे, बल्कि "ठुमरी" और "चैती" पेश करेंगे। इससे भी बड़ी बात यह है कि जानकारी के मुताबिक गुलाम अली ने खुद मंदिर के महंत से संपर्क कर समारोह में गाने की पेशकश की और वह इस कार्यक्रम के लिए एक भी पैसा नहीं ले रहे हैं। गौरतलब है कि यह वही संकट मोचन मंदिर है जिसे पांच-छह साल पहले आतंकियों ने सीरियल ब्लास्ट के जरिए दहला दिया था। मंदिर के महंत और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में आईआईटी के प्रोफेसर विश्वमबर नाथ मिश्रा ने बताया कि यह पहला मौका होगा जब कोई पाकिस्तानी गायक संकट मोचन मंदिन में प्रस्तुति देगा। संगीत समारोह 4 अप्रैल से शुरू हो रहे मंदिर के वार्षिक समारोह का आखिरी कार्यक्रम होगा। मंदिर प्रशासन ने वाराणसी से सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी न्योता दिया है। कार्यक्रम में पंडित बिरजू महाराज, हरिप्रसाद चौरासिया, सोनल मानसिंह, हशमत अली खान, उस्ताद अमजद अली खान, उनके दोनों बेटों अमान, अयान सहित कुल 50 लोग अपनी प्रस्तुति देंगे।

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