12 मार्च 2015

करेंगे ‘मन की बात’ बताओ प्रॉब्लम

देश की कुंडली में किस्मत का विरोधाभास देखिए। पिछले प्रधानमंत्री के मुख से बोल ही नहीं फूटते थे, तो नए पीएम बतोलेबाजी में निकले वर्ल्ड चैंपियन। चुनावी सभाओं में इनके बड़बोलेपन, बड़े-बड़े वादों और दस साल से राज कर रही मनमोहन सरकार (ये अलग बात है कि उनकी चलती कुछ न थी) के प्रति जनता की खीझ ने कुछ ऐसी कैमेस्ट्री बनाई कि भाजपा स्पष्ट और अपूर्व बहुमत के साथ सत्ता में आ गई। महंगाई को 100 दिन में जमीन पर लाने और विदेशों में जमा कालेधन को भारत लाकर हर खाते में 15 लाख के जनता को दिखाए गए सपने तो न पूरे होने थे न हुए, इसके बावजूद जनाब जारी हैं ‘मन की बात’ के जरिए देश को मीठी घुट्टी पिलाने में।
गजब का कार्यक्रम है ‘मन की बात’ पिछले वायदों का कोई हिसाब-किताब नहीं, नए सपने हाजिर। कभी बच्चों से, कभी युवाओं से बात करने के बाद पीएम साहब कि नजरे इनायत करने जा रहे हैं देश के किसानों पर। ‘मन की बात’  की अगली कड़ी के लिए किसानों से उनकी समस्याएं पूछी हैं ‘सरकार’ ने। किस दुनिया में जी रहे हैं देश के प्रधानमंत्री, जो बेमौसम हुई बारिश से बर्बाद हुई किसानों की फसलें इन्हें दिखाई नहीं दे रहीं। कर्ज न चुका पाने के डर से किसानों की आत्म हत्या की खबरें इनके कानों तक नहीं पहुंचीं। कपास किसानों की आत्महत्याओं का न थमता दौर भी इनके नोटिस में नहीं आ सका। इन्हें ‘मन की बात’ करने के लिए अभी किसानों से समस्या पूछने की जरूरत है। लग रहा है कि सरकार ने किसानों सारे दुख हर लिए, सारे कष्ट दूर हो गए और अब कोई समस्या नजर ही नहीं आ रही है। सो पूछा जा रहा है कि भइया कोई प्राब्लम हो तो बताओ, वो भी दूर कर देंगे चुटकी बजा कर।
 रेल बजट में खाद की ढुलाई बढ़ा दी। देश भर में किसानों को खेती के लिए बिजली-पानी की समस्या से अब भी जूझना पड़ रहा है, पर मोदी जी को यह घिसी-‌पिटी ‘आउट डेटेड’ समस्याएं नहीं चाहिए। कोई नई प्रॉब्लम बताइये, तो उस पर करेंगे बात। ‌बेचारा किसान मोदी जी के लिए नई प्रॉब्लम कहां से लाए? क्या बताए सरकार को कि वाईफाई कनेक्टिविटी ठीक से नहीं मिल रही या लैपटॉप की हार्ड डिस्क क्रैश कर गई है, ग्राफिक कार्ड ठीक से परफार्म नहीं कर रहा, हम फुल स्पीड में जीटीए-4 नहीं खेल पा रहे। बेटे का पीएस-4 ठीक से नहीं चल रहा। मर्सिडीज का रियर एसी ठीक से कूलिंग नहीं कर रहा और म्यूजिक सिस्टम का बेस ट्यूब भी ठीक से बूम नहीं कर रहा। इस किस्म की कुछ समस्या बताइये, तो बात करेंगे मोदी जी। भूमि अधिग्रहण बिल को किसान विरोधी बताकर धरना देते और पद यात्रा निकालते अन्ना हजारे की चिट्ठियों का कोई जवाब पीएमओ आज तक नहीं दे सका, पर ‘मन की बात’ के लिए इन्हें नई समस्याओं का फीडबैक चाहिए। जिए रहो राजा खाम ख्याली में।



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