19 सितंबर 2009

दाती गुरु का मंतर काम कर रहा है

मदारी की बाजीगरी दिल बहलाती है। लोग सिक्के फेकते हैंै। मीडिया की बाजीगरी इससे कहीं गहरी है। व्यापकतर असर रखती है। चैनलों का चलाया दाती गरु का मंतर आजकल दिल्ली में खूब कमाल दिखा रहा है। दाती गुरु वही रजत शर्मा मार्का। इंडिया टीवी वाले। बाद में शायद अच्छा आफर मिला तो न्यूज-24 चले गए। आजकल वहीं से भक्तों को दीक्षा दे रहे हैं। भविष्य बांच रहे हैं। पहले शनि के प्रकोप से बचाते थे। दाती गुरू के मुख से चैनलों ने शनिदेव की महिमा ऐसी बखानी कि उनका अपना टीआरपी तो बढा ही, शनिदेव के भी दिन फिर गए। जरा दिल्ली की सैर कीजिए इनके मंतर का असर दिल्ली के दिल कनाट प्लेस तक पर नजर आएगा। मेटरो गेट, बस स्टाप, पालिका, फुटपाथ हर जगह शनि महाराज विराजे दिखाई देंगे। लोग खामखां डरते हैं इनसे इतना। जाने क्यों एक गुस्सैल सी विलेन टाइप इमेज बना रखी है बेचारे शनिदेव की। जरा गौर से देखिए चश्मा उतार कर। इनसे सीधा और लाचार कोई नजर नहीं आएगा आपको दिल्ली में। लाचार इसलिए की बिना कुछ चूं-चपड़ किए घंटों धूप में झुलस रहे हैं। सीधा इसलिए कि इनको साधना किसी भी दूसरे देवता को साधने से आसान हो गया है आजकल। न मूर्ति का खर्चा, न फोटो का, चैकी सजाने जैसी लग्जरी की तो बात ही छोड़िए। बस एक गत्ते पर फटा-पुराना-मैला-कुचैला जैसा भी मिल जाए एक काला कपड़ा ओढ़ा कर एक फूल माला चढ़ा दीजिए। सामने एक छोटे से बर्तन में तेल रख दीजिए। हो गया काम। अब देखिए शनि देव का कमाल। कुछ चमत्कार नहीं दिखा क्या! कैसे दिखेगा यार, दो-चार चिल्लर-विल्लर नहीं डालोगे जबतक अपनी तरफ से। भई अब इतना इंवेसमेंट तो करना ही पड़ेगा कोई भी नया धंधा जमाने में। तो एक, दो पांच के दो चार सिक्के डाल के परे हट लो। अब देखो शनिदेव कैसे फटाफट कमाई कर भरते हैं तुम्हारी जेब। दो-दो घंटे पर आकर रिटर्न कलेक्ट करते जाओ बस। हाथ-पांव डोलाने की कोई जरूरत नहीं, मगजमारी भी कुछ नहीं। एक दिन में एक का पंद्रह बटोरो। वो कहते हैं न, कि अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम; दास मलूका कह गए सबके दाता राम। मलुक दास ससुर बुडबक थे, जो शनि देव के एकाउंट का श्रेय राम के खाते डाल गए। शायद उनकी इसी गलती को सुधारने के लिए कलयुग में दाती गुरु का अवतार हुआ और रजत शर्मा उनके प्रमोटर बने। वर्ना इतना मंदी के इस दौर में इतने कम इंवेसमेंट में ऐसा चोखा धंधा कौन माई का लाल क्या खा के जमा लेता। शनिदेव भी शनीचर बने कहीं कोने में बैठे होते ललिता पवार जैसा मुंह बनाए। तो ’ हल्दी लगे न फिटकरी रंग भी चोखा आए ’ के इस कमाल को देखो। श्रद्धा उमड़े तो रुपया-दो रुपया चढ़ा दो, अपनी औकात देख कर। और जोर से बालो शनि देव की जय ! दाती गुरु की जय !! रजत दादा की !!!

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