8 अप्रैल 2015

... और इन्होंने मीडिया को ‘तवायफ’ बना‌ दिया

नरेंद्र मोदी की सरकार चुनाव में किए गए बड़े-बड़े वायदों को निभा पाने में दस माह बाद भी भले ही मीलों पीछे खड़ी नजर आती हो, पर मोदी के विचित्र मंत्री और सांसद आए दिन नए-नए विवाद खड़े करने में जरा भी पीछे नहीं हैं। ज्यादातर विवाद मंत्रियों की बदजुबानी या बेमतलब के बयानों से पैदा हो रहे हैं।

साध्वी निरंजन ज्योति के रामजादे-हरामजादे वाले विवाद और साक्षी महाराज के बयानों के बाद अब पूर्व आर्मी चीफ और केंद्र सरकार में विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह एक बार विवादित बयान देकर नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है। इस बार उन्होंने मीडिया के खिलाफ विष वमन किया है। मीडिया को तुलना वेश्या से करने की नीयत से उन्होंने अंग्रेजी के प्रास्टीट्यूट शब्द की मीडिया के लिए प्रेस्टीट्यूट शब्द का इस्तेमाल किया है।

वीके सिंह ने पहले तो हिंसा में घिरे यमन से भारतीयों को निकालने के मिशन की तुलना पाकिस्तान के दूतावास में होने वाले कार्यक्रमों से की। इस तुलना पर जब विवाद हुआ तो वह मीडिया पर ही भड़क गये और मीडिया के खिलाफ आपत्तिजनक और अमर्यादित टिप्पणी की।

सोशल नेटवर्किंग साइट ट्वीटर पर वीके सिंह ने लिखा कि 'दोस्तों आप प्रेसटीट्यूट्स से और क्या उम्मीद कर सकते हैं। हैशटैग टाइम्स नाउ डिजास्टर से किए गए ट्वीट में म‌‌ीडिया के लिए जिस प्रेस्टिट्यूट्स शब्द का इस्तेमाल किया गया है, वह दरअसल प्रेस और प्रॉ‌स्टिट्यूट का जोड़ है। वीके सिंह ने ट्वीट के अगले हिस्‍से में कहा है कि अंतिम बार में अर्नब गोस्वामी ने ई के स्‍‌थान पर ओ समझ लिया था।

वीके सिंह के इस बेतुके बयान की मीडिया जगत में तीखी आलोचना हो रही है। कहा जा रहा है कि 56 इंच के सीने वाले मोदी जनता के सामने मंच पर तो बड़े शेर बनते हैं, पर अपने बड़बोले मंत्रियों की जबान पर लगाम नहीं लगा पा रहे हैं। शायद उनकी खुद की बतोले बाजी की आदत इसमें आड़े आ रही है कि जब अपनी जबान पर ही कंट्रोल नहीं जनाब का, तो दूसरों को किस मुंह से क्या कहें भला!

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