चैराहे नहीं रहे अब वैसे
पहले से अल्हड, ठहरे-ठहरे से
हर ओर मची है भागमभाग
आदमी भाग रहा है,
सडकें भाग रही हैं
पीछे-पीछे भाग रहा है चैराहा ।
नेता जी को जरूरत नहीं पड़ती,
आने की अब चैराहे पर
कि जनता से जुड़ने की
जरूरत ही नहीं रही
सियासत के रंग-ढंग
दोनों ही बदल चुकें हैं अब
नहीं करते वोट की राजनीति वह अब
बन गए हैं सत्ता के ‘फें्रचाइजी’
लड़ते नहीं चुनाव अब
करते हैं महज दलाली
लोकसभा-विधानसभा में,
विश्वास-अविश्वास मत पर
वोटिंग कराने, न कराने
सरकार बचाने की
सरकार गिराने की
करके जनता के विश्वास की हत्या
बन गए विश्वास-अविश्वास के दलाल
गलियां, सडकें, राजपथ
सब इनसे थर्राते है
पीछे-पीछे अब इनके भाग रहा है चैराहा
चैराहे नहीं रहे अब वैसे
पहले से अल्हड, ठहरे-ठहरे से ।
चैराहे नहीं रहे अब वैसे
जवाब देंहटाएंपहले से अल्हड, ठहरे-ठहरे से
हर ओर मची है भागमभाग
आदमी भाग रहा है,
सडकें भाग रही हैं
पीछे-पीछे भाग रहा है चैराहा ।
'कौस्तुभ जी बहुत अच्छी लगी आपकी रचना ....स्वागत है आपका ...!!